जलियांवाला बाग हत्याकांड अंग्रेजों के दमन और क्रूरता का परिचायक

सुखाडयि़ा विवि के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी कॉलेज में आयोजन उदयपुर. जलियांवाला बाग हत्याकांड अंग्रेजी शासन का सबसे बर्बरतापूर्ण कृत्य था। अंग्रेजों के दमन और निर्दोष के बलिदान की ये दास्तां आज भी रोंगटे खड़े कर देती है। ये विचार मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के सामाजिक विज्ञान एव मानविकी महाविद्यालय की ओर से आयोजित विमर्श यूसीएसएसएच डायलॉग सीरिज जलियांवाला बाग हत्याकांड एक कालजयी सीमा विषयक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर मीरा कन्या महाविद्यालय के प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर शर्मा ने व्यक्त किए। कुलपति प्रो अमरीका सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्र में प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि 13 अप्रेल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड जनरल डायर की क्रूरता ही थी। उसके एक निर्णय ने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। अंग्रेज हुकूमत ने भी इस निर्णय को सही बताते हुए डायर को क्लीन चिट दे दी। यह घटना स्वतंत्रता आंदोलन को कमजोर करने व हिन्दू मुस्लिम एकता को तोडऩे का षडयंत्र था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन का एक टर्निंग पाइंट साबित हुआ। जलियावाला काण्ड एक नाइट मेयर की तरह है, जिसके खलनायक ओ डायर और एम् आर डायर थे। डायर को आधुनिक भारत का अहमद शाह अब्दाली कहना युक्ति युक्त होगा। जलियावाला नर संहार डायर की खुन्नस का परिणाम था उसकी औपनिवेशिक जमीदारी सोच थी की भारतीयों को रेंगने वाला कीड़ा बना दिया जाय इनका मनोबल तोड़ दिया ताकि ये अंग्रेजों के जुल्मों सितम को सहते रहें। इसी लिए रौलट एक्ट जिसे ब्लेक एक्ट कहा गया उसका दुरुपयोग सबसे पहले अमृतसर में सतपाल आर्य और सैफुद्दीन किचलू को निर्वासित कर किया और लगभग 2 हजार लोगों को भूनकर रख दिया 1650 राउंड गोलियों से। अंग्रेजो के कमिशनों ,जांच समितियों में मौत के आकंड़े छिपाने का खेल हुआ। इस नरसंहार का बदला और प्रतिशोध लेने वाला ओ डायर को लंदन जा कर एक अनाथ 21 वर्षीय उधम सिंह था जिसने 20 साल की साधना कर ,खानसामा का कार्य कर 1940 में लंदन में डायर को गोली मारी और फांसी की सजा भुगती,,भारतीय राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा की।जलियावाला काण्ड चाहे दुखद है परराष्ट्रीय छवि में यह कालजयी बना हुआ है तभी तो 1913 के मानगढ़ को राजस्थान का जलियावाला कहा जाता है। कुलपति सिंह ने कहा कि हमारा इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। ऐसे समारोह से नई पीढ़ी तक ऐतिहासिक तथ्य का ज्ञान सही प्रकार से पहुंचता है। सुखाडया विश्वविद्यालय ओर से लगातार इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा की विमर्श का विषय चयन भी ऐसी ही मंशा से किया गया है। वागड़ का मानगढ़ भी जलियावाला बाग... इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सीमा मलिक ने जलिया वाला बाग हत्याकांड की तुलना वागड़ के मानगढ़ धाम से करते हुए कहा कि दोनों ही घटनाएं अंग्रेजी शासन काल में घटित हुई और हजारों निर्दोष लोगों की जान ले ली गई। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हजारों लोगों ने अपना बलिदान दिया। हमें स्वतंत्रता के मायने को समझना होगा। शहीद ऊधमसिंह के नाम होगा संगोष्ठी कक्ष कुलपति ने यूनिवर्सिटी परिसर में संगोष्ठी कक्ष का उद्घाटन किया। इस दौरान कुलपति ने भवन का नाम शहीद ऊधमसिंह के नाम पर किए जाने की घोषणा की। विजेता विद्यार्थियों का सम्मान विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित दांडी यात्रा स्वतंत्रता की ओर एक कदम विषय निबंध प्रतियोतिा के वितेजाओं को भी प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया गया। प्रथम सेमेस्टर विश्वविद्यालय विज्ञान महाविद्यालय को प्रदान किया गया। प्रथम पुरस्कार 1500 रुपए शिवानी बोहरा एमएससी वनस्पति विज्ञान प्रथम सेमेस्टर, द्वितीय पुरस्कार 1200 रुपए नकद व प्रमाणपत्र विधि महाविद्यालय की बी.ए.एल.एल.बी. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा सुश्री हर्षी वर्मा को दिया गया। तृतीय पुरस्कार रु.1000 नकद सुश्री लता नूर, एम.ए. अर्थशास्त्र प्रथम सेमेस्टर वि.सा.वि.एवं मा.वि. तथा श्री शैतान सिंह विश्नोई, शिक्षा विभाग, मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय को प्रदान किया गया। दो सांत्वना पुरस्कार सुश्री कशिश खटिक, बी.ए. ऑनर्स प्रथम वर्ष वि.सा.वि. एवं मानविकी महाविद्यालय तथा मेघा गहलोत, बी.एस.सी. द्वितीय वर्ष, सेठ मथुरादास बिनानी राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा को प्रदान किया गया।कार्यक्रम में डी.एस. डब्ल्यू प्रो. पूरणमल यादव, आनंनदम के संयोजक प्रो. नीरज शर्मा, सह अधिष्ठाता जिनेन्द्र जैन, डॉ. शुक्ला, प्रो. कल्पना जैन, डॉ. मीनाक्षी जैन, डॉ. सुरेश साल्वी, डॉ. डॉली मोगरा, डॉ. विजया दीक्षित आदि उपस्थित थे । संचालन महाविद्यालय की सहअधिष्ठाता छात्र कल्याण तथा कार्यक्रम की सहसंयोजक डॉ.नेहा पालिवाल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के प्रॉक्टर तथा कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ. पी.एस. राजपूत ने किया। जलियांवाला हत्याकांड विषय निबंध प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को समारोह में सम्मानित किया गया। समरोह के सलाहकार- जिनेन्द्र जैन सहअधिष्ठाता सामाजिक व मानविकी संकाय विभाग, सहसंयोजक -डॉ पी एस राजपूत, सहसयोजक - डॉ नेहा पालीवाल थी।
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Last Updated on : 30/10/24