पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤‚ जैन विदà¥à¤¯à¤¾ पर संगोषà¥à¤ ी à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ समारोह समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤¨ à¤à¤µà¤‚ पाणà¥à¤¡à¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं के लिठउपयोगी सिदà¥à¤§ होगा-कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹. अमेरिका सिंह
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤‚ जैन विदà¥à¤¯à¤¾ पर संगोषà¥à¤ ी à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ समारोह समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤¨ à¤à¤µà¤‚ पाणà¥à¤¡à¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं के लिठउपयोगी सिदà¥à¤§ होगा-कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹. अमेरिका सिंह
जैनविदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤—, मोहनलाल सà¥à¤–ाड़िया विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की ओर से आयोजित पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ संगोषà¥à¤ ी के उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ समारोह की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¥‹. अमेरिका सिंह, कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ मोहनलाल सà¥à¤–ाड़िया विशà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने की। उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ सतà¥à¤° में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहां की à¤à¤• सेंटर ऑफ à¤à¤•à¥à¤¸à¥€à¤²à¥‡à¤‚स विकसित किया जाà¤à¤—ा जिसको पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ व जैन विदà¥à¤¯à¤¾ से जोड़ा जाà¤à¤—ा तथा जैन à¤à¤¾à¤·à¤¾ को अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर बढ़ावा दिया जाà¤à¤—ा तथा 30000 सà¥à¤•à¥à¤µà¤¾à¤¯à¤° फिट की जमीन पर नठपरिसर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारपोरेट सोशल रिसà¥à¤ªà¤¾à¤‚सिबिलिटी व जैन समाज के à¤à¤¾à¤®à¤¾à¤¶à¤¾à¤¹à¥‹ के सहयोग से किया जाà¤à¤—ा! इस सेंटर में पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯, पांडà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹, वरà¥à¤šà¥à¤…ल कà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤°à¥‚म तथा आवशà¥à¤¯à¤• तकनीक साधनों से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ किया जाà¤à¤—ा! कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ ने कहा कि जलà¥à¤¦ ही à¤à¥‚मि पूजन कर इसकी आधारशिला जैन समाज के गणमानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ की जाà¤à¤—ी! पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ के उनà¥à¤¨à¤¯à¤¨ à¤à¤µà¤‚ विकास के लिठविशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सहयोग किये जाने का आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया और कहा कि विà¤à¤¾à¤— कà¥à¤› नठपाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करें à¤à¤µà¤‚ समाज के सहयोग पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठततà¥à¤ªà¤° रहे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विà¤à¤¾à¤— की अकादमिक गतिविधियों और समाज के सौहारà¥à¤¦à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को देखकर सराहना की कि जैन समाज à¤à¤• समरà¥à¤¥ समाज है और विà¤à¤¾à¤— के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आगे आना चाहिà¤à¥¤ विà¤à¤¾à¤— में विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤°à¤ªà¥‚र सहयोग करने का आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया। विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के जनसंपरà¥à¤• अधिकारी डॉ. पी à¤à¤¸ राजपूत ने बताया कि कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ महोदय का नागरिक अà¤à¤¿à¤¨à¤‚दन किया गया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जैन समाज ने मेवाड विदà¥à¤¯à¤¾ अलंकरण से विà¤à¥‚षित किया गया! कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤¨ और पांडà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ केंदà¥à¤° की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिठसमाज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मांगी गई जमीन को सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤ किया और विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में इसका à¤à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤µà¤¨ बनाने की सहरà¥à¤· अनà¥à¤®à¥‹à¤¦à¤¨à¤¾ की। विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के साथ-साथ अधीनसà¥à¤¥ अनà¥à¤¯ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤— खà¥à¤²à¤µà¤¾à¤¨à¥‡ के पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किठजाने और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ का कà¥à¤°à¤® निरंतर चलाने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विषय की महतà¥à¤¤à¤¾ और उसमें अंतरà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सराहना करते हà¥à¤ यह कहा कि à¤à¤¾à¤·à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हर à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को होना चाहिठताकि वह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, साहितà¥à¤¯ से परिचित होकर अपनी साधना कर सके। विà¤à¤¾à¤— के उनà¥à¤¨à¤¯à¤¨ हेतॠउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤¨à¤ƒ अपनी बात को दोहराते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सहयोग और समरà¥à¤¥à¤¨ का आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया।
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ बालयोगी गà¥à¤°à¥à¤—ौरव मà¥à¤¨à¤¿ अमितसागर महाराज ने à¤à¤¾à¤·à¤¾ और शबà¥à¤¦ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ उसके वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प की चरà¥à¤šà¤¾ की। मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ ने शबà¥à¤¦ की पौदà¥à¤—लिकता और उसके अरà¥à¤¥ गामà¥à¤à¥€à¤°à¥à¤¯ पर विचार करते हà¥à¤ कहा कि शबà¥à¤¦ की अपनी महिमा है, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤²à¥‡ ही पूरà¥à¤µ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते हà¥à¤ उसकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करता है लेकिन जैनचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने उसे आज से 2000 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ ही सिदà¥à¤§ कर दिया था। पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के महतà¥à¤¤à¥à¤µ को बताते हà¥à¤ मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ ने पूरà¥à¤µ जैनाचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के उपकार को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया और इस साहितà¥à¤¯ को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• धरोहर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया। मà¥à¤¨à¤¿ जी ने बहà¥à¤¤ ही सरल शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ किया तथा वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ की महतà¥à¤µà¤¤à¤¾ को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾!
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के मà¥à¤–à¥à¤¯ वकà¥à¤¤à¤¾ के रूप में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ सà¥à¤•à¤¾à¤²à¤°à¥à¤¸ सोसायटी के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤°à¥‹. पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¸à¥à¤®à¤¨ जैन ने पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ को जन सामानà¥à¤¯ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ बताते हà¥à¤ सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं से उसके संबंध को सिदà¥à¤§ किया। दैनिक वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में काम मे आने वाले शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते हà¥à¤ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€, मराठी, हिंदी और अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के साथ उसके संबंध को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ ये हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनमानस की मूल में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ का संबंध सहज, सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤œà¤¨à¥à¤¯ उपादानों के साथ सिदà¥à¤§ करते हà¥à¤ कहा कि यह à¤à¤¾à¤·à¤¾ समाज, पंथ अथवा समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से बंधी हà¥à¤ˆ नहीं है। यही कारण है कि अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯ जैनेतर कवियों ने à¤à¥€ इस à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— साहितà¥à¤¯ सृजन में किया।
संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤—ाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤°à¥‹. नीरज शरà¥à¤®à¤¾ ने à¤à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में अपने विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤·à¤¾ की असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ और संबंधों पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला और कहा कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने वाला सदैव जà¥à¤žà¤¾à¤¨ गरिमा से समृदà¥à¤§ रहता है।
सारसà¥à¤µà¤¤ अतिथि के रूप में पà¥à¤°à¥‹. अंजू कोहली ने à¤à¤¾à¤·à¤¾ के संबंध और उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• विषय के साथ उसकी महतà¥à¤¤à¤¾ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया। डॉ. उदयचंद जैन, पूरà¥à¤µ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· जैन विदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤— ने अपने विचारों में पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ की सरलता और सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को उजागर किया और कहा कि यह à¤à¤¾à¤·à¤¾ हर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ से जà¥à¥œà¥€ हà¥à¤ˆ à¤à¤¾à¤·à¤¾ है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस à¤à¤¾à¤·à¤¾ को सीखकर अपना जीवन सफल बना सकता है। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ में डा.जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤¬à¤¾à¤¬à¥‚ जैन ने सà¥à¤µà¤¾à¤—त वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में किये जा रहे माननीय कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ महोदय के नवाचारों को उजागर किया और उनकी सरल अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की।
विà¤à¤¾à¤— के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤°à¥‹. जिनेनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° जैन ने विà¤à¤¾à¤— की अकादमिक और शोधपरक पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¯à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में विà¤à¤¾à¤— में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤°à¤¤ बी. à¤, à¤à¤®. à¤. के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ और शोधारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समागत समसà¥à¤¤ अतिथियों और शोध उपाधि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया गया। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के बीच में सकल जैन समाज के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€ शांतिलाल जी वेलावत ने कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹. सिंह के समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ विà¤à¤¾à¤— à¤à¤µà¤‚ पांडà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ केंदà¥à¤° के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के दायितà¥à¤µ वहन करने का संकलà¥à¤ª रखा जिसे कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ महोदय ने अपनी सहरà¥à¤· सहमति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के संयोजक डॉ.राजेश जैन ने समसà¥à¤¤ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को अकादमिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से संयोजित कर मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥€ के शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥€à¤· की कामना की।
Address
Mohanlal Sukhadia University
Udaipur 313001, Rajasthan, India
EPABX: 0294-2470918/ 2471035/ 2471969
Fax:+91-294-2471150
E-mail: registrar@mlsu.ac.in
GSTIN: 08AAAJM1548D1ZE
Mohanlal Sukhadia University
Udaipur 313001, Rajasthan, India
EPABX: 0294-2470918/ 2471035/ 2471969
Fax:+91-294-2471150
E-mail: registrar@mlsu.ac.in
GSTIN: 08AAAJM1548D1ZE
Privacy Policy |
Disclaimer |
Terms of Use |
Nodal Officer : Dr. Avinash Panwar
Last Updated on : 15/01/25
Last Updated on : 15/01/25
Powered by Avid Web Solutions Pvt. Ltd.
Visitors : 0035344743
Visitors : 0035344743