Department of Jainology & Prakrit

स्थापना एवं पाठ्यक्रम
 
सुखाडया विश्वविद्यालय उदयपुर के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में संचालित यह जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग सन् १९७८ में स्थापित हुआ है। अखिल भारतीय साधुमार्गीय जैन संघ बिकानेर एवं राज्य सरकार जयपुर के प्रारंभिक सहयोग से विश्वविद्यालय में स्थापित इस विभाग में प्रारम्भ से आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेम सुमन जैन, सह-आचार्य डॉ. उदयचंद जैन एवं सह-आचार्य डॉ. हुकमचंद जैन कार्यरत रहे है। विगत २६ वर्षों में विभाग से अब तक स्नातक (B.A.) प्राकृत भाषा के १००, स्नातकोत्तर (M.A.) जैनविद्या एवं प्राकृत में १६०, एम. फिल. (M.Ph.) प्राकृत के ११ एवं जैनविद्या में पीएच. डी. (Ph.D.) के ५० विद्यार्थी सफलतापूर्वक शिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। जैनविद्या एवं प्राकृत में डिप्लोमा एवं प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों में भी लगभग ९० विद्यार्थियों ने शिक्षण प्राप्त किया है। राज्य का यह पहला विभाग है जहाँ पर प्राकृत भाषा व साहित्य तथा जैनविद्या की सभी स्तरों के शिक्षण की व्यवस्था है। समाज में समता, समानता और संवेदना तथा राष्ट्र चेतना को विकसित करने के लिए विभाग एवं यू. जी. सी. के सहयोग से पालि, बौद्धधर्म एवं अहिंसा में डिप्लोमा एवं प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भी प्रारम्भ किया गया था तथा डिप्लोमा एवं प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों के लिए बौद्ध अध्ययन एवं अहिंसा केन्द्र की स्थापना की गई थी। विभाग के वर्तमान विभागाध्यक्ष एवं सह-आचार्य डॉ. हुकमचंद जैन, बौद्ध अध्ययन एवं अहिंसा केन्द्र के समन्वयक है। वर्तमान में पालि, बौद्धधर्म एवं अहिंसा में डिप्लोमा एवं प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम संचालित नहीं है।
 
Courses offered (PI. give UG, PG and other courses offered by the Department)
 
Name of the programme Subject Number of Seats Eligibility
Under Graduate (B.A.) PRAKRIT   48%
Post Graduate (M.A.) JAINOLOGY & PRAKRIT SAHITYA 40 48%
 
Address
Mohanlal Sukhadia University
Udaipur 313001, Rajasthan, India
EPABX: 0294-2470918/ 2471035/ 2471969
Fax:+91-294-2471150
E-mail: registrar@mlsu.ac.in
GSTIN: 08AAAJM1548D1ZE
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Last Updated on : 26/09/24